A morning in city of Nawabs...

 # City of Nawabs

# Lucknow

# Part 1

       Bara Imambara


आज का दिन दिसंबर की एक सामान्य सर्दियों की सुबह की थी, इसे कुछ खास बनाने के लिए , मैं एक अलग दृष्टि और अलग उद्देश्य के साथ यात्रा करने की योजना बनाई ..।

रास्ते में मुझे आम सड़कें मिलीं जिनसे मैं रोज गुजरती हूँ ., लेकिन आज सुबह सब कुछ शांत था, सड़क पर ज्यादा यातायात नहीं था, गलियां खाली थीं, भीड़ कम थी, इसने मेरे दिमाग में हजरतगंज की एक नई तस्वीर बनाई । मैंने अपनी स्कूटी इमामबाड़े के सामने खड़ी की और टिकट लेने और घुमने चल पड़ी ।

History of Bara Imambara

बड़ा इमामबाड़ा, जिसे असफी इमामबाड़ा भी कहा जाता है, लखनऊ, भारत में एक इमामबाड़ा परिसर है, जिसे 1784 में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा बनाया गया था। बारा का अर्थ है बड़ा। यह इमामबाड़ा निजामत इमामबाड़े के बाद दूसरा सबसे बड़ा इमामबाड़ा है। इमारत में बड़ी असफी मस्जिद, भुल-भुलैया (भूलभुलैया), और बावली, बहते पानी के साथ एक कदम कुआं भी शामिल है। 
दो भव्य द्वार मुख्य हॉल की ओर ले जाते हैं। कहा जाता है कि छत तक पहुंचने के लिए 1024 रास्ते हैं लेकिन वापस आने के लिए पहला गेट या आखिरी गेट दो ही हैं। यह एक आकस्मिक वास्तुकला है। जैसा कि एक स्थानीय गाइड ने बताया ….₹बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1780 में शुरू किया गया था, जो एक विनाशकारी अकाल का वर्ष था,और इस भव्य परियोजना को शुरू करने में आसफ-उद-दौला के उद्देश्यों में से एक इस क्षेत्र के लोगों को लगभग एक दशक तक रोजगार प्रदान करना था, जबकि अकाल जारी रहा। ऐसा कहा जाता है कि आम लोग दिन में इमारत बनाने का काम करते थे, जबकि रईसों और अन्य कुलीनों ने रात में काम किया था, जो उस दिन उठाई गई थी। यह एक ऐसी परियोजना थी जो रोजगार सृजन के लिए की गयी थी। इसे देखकर लोगों ने कहना शुरू कर दिया ' जिसको न दे मौला उसको दे आसफ उद्दौला' जब नवाब को यह बात सुनी तो उन्होंने कहा कि जिसको न दे सके मौला उसको क्या ही देगा आसफ उद्दौला।' जो उनकी इस महानतम सोच को दर्शाती है।
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 इमामबाड़े का निर्माण 1794 में पूरा हुआ था। इमामबाड़े के निर्माण की अनुमानित लागत पांच लाख रुपये से एक लाख रुपये के बीच है। पूरा होने के बाद भी नवाब इसकी साज-सज्जा पर सालाना चार से पांच लाख रुपये खर्च करता था।

 अब इमामबाड़े को मेरे नज़रिये से देखिये
 1: इमामबर्ग: यह एक इमाम बरगाही है ईमान अली और सैयद फातिमा के बेटे और पवित्र पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन के सर्वोच्च बलिदान के आवास के लिए सेंटर फॉर मॉर्निंग और सोरू के लिए एक केंद्र स्थापित किया गया था, जिसे उनके द्वारा 10 मुहर्रम 61 आह पर इराक में कर्बला में बनाया गया था। यह इमामबाड़ा इराक में कर्बला की उसी संरचना को दोहराता है क्योंकि गरीब लोग इराक जाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं इसलिए नवाब इतने उदार थे कि उन्होंने इमामबाड़े में कर्बला की वही प्रतिकृति बनाई।



Interior of imambargah

Chinese plate

 जब आप इमामबाड़े में प्रवेश करेंगे तो आपको सभी इमारतों की छत चीनी प्लेट और ट्रे के रूप में दिखाई देगी 




Tazia






Mirror...

हॉल में मिरर स्क्वायर भी रखा गया है जो प्रकाश के स्रोत के रूप में काम करता था। ये सब बातें हमें सोचने पर विवश करती हैं कि भारतीय शिल्पकार कितने अच्छे थे।



2: Bhulbhulaiya...

As the history it described already before, i would like to share my experience



 भूल भुलैया का रास्ता - जब हम उनकी सीढ़ियों को देखने लगते है  तब से ही लगता है कि भूल भुलैया चालू होने लग जाता है

 जो कि मैं अकेले गई थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि कि मैं गुम जाऊंगी इसमें. यहां गाइड के द्वारा यह बताया गया कि जो भूल भुलैया की दीवारें हैं उसमें चना, गुड़, चुना, घास फूस यह सब डाल कर बनाया गया था और इसके पीछे का इतिहास तो यही है कि जब यहां पर बाढ़ आया तो नवाब ने लोगों को रोजगार देने के लिए भूल भुलैया का निर्माण हुआ। जिनको यह कार्य आता था वो सही से बनाते थे और जिनको काम नही आता था वह जैसे भी हो अपना कार्य कर लेता थी। जिससे इसका ओर छोर नज़र नही आता है और कही का रास्ता कही और ले जाता है। इसकी दीवारों की भी खास महत्व है। इसमें एक तीली की आवाज भी हमे बहुत दूर तक सुनाई देती है। एक जगह खड़े होकर किसी विशेष जगह ही आवाज पहुचाने जैसा बनाया गया है जिससे गुप्त सूचनाएं भेजी जा सकती थी या दुश्मन से बचने के लिए सूचनाएं दे सकते थे। इन्ही सब चीज़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि  दिवारों के भी कान होते है वाला  मुहावरा इसी से देख सुन कर बना है। 

इसके साथ ही जगह - जगह पर रोशन दान बने हुए है जिससे यह जगह प्रकाशवान होता है साथ ही कुछ जगह छोटे छोटे छेद बने है जिससे सीधे गेट के बाहर देखा जा सकता है कि कौन वहाँ पर है और खासकर इसे दुश्मनों के ऊपर निगरानी रखने के लिए बनाया गया था।

इमामबाड़ा के छत का ऊपर का दृश्य भी बहुत मनमोहक है। पूरा लखनऊ का नज़ारा हमें देखने को मिल जाता है। आस पास की चीज़ें की भव्यता देखते ही बनती है। साथ ही सभी घूमने आए लोगों के लिए फोटोग्राफी करने की उत्तम जगह है। 



 आप यहां की वास्तुकला को जब देखेंगे तो आपको यह एहसास होगा कि उस वक़्त लोगों के बीच इंपॉसिबल जैसी कोई चीज नहीं होती थी बस उनको एक नमूना दे दिया जाता था कि आपको यह बनाना है....

3: बावली

 बावली का अर्थ होता है कुआं...



 यहां की बावली लगभग 130 फीट गहरी है और कहा जाता है गोमती का पानी इस पर आकर भरता था और यह पूरे इमामबाड़ा ,भूल भुलैया, छोटा इमामबाड़ा, सफेद मस्जिद सारे इलाकों के पाने की जरूरतों को पूरा करती थी...



### पानी वाला कैमरा

 यह सुनने में रोचक जितना लग रहा है यह असलियत में उतना ही रोचक है- तो हमारे नवाब साहब ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया था जिसमें वहां पर पानी में आते हुए लोगों का प्रतिबंध दिखता था जिससे जिससे वह अंदर बैठे बैठे ही देख सकते थे कि दरवाजे पर कौन हैं - तो है ना अपने नाम को सार्थक करती हुई यह मॉडल



### इमामबाड़े के आसपास लगती दुकाने

 इमामबाड़ा जब घूमने जाएंगे तो यहां पर आसपास आपको बहुत ही सारी एंटीक चीजों की दुकानें मिल जाएगी।  

 यहां शीप से बने हुए बहुत सारी चीजें मिल जाएंगे जैसे बुकमार्क नेकलेस ऐसी चीज है जो आप इमेजिन भी नहीं कर सकते वह चीजें यह हाथ से बनाकर यहां पर मिलती हैं। 



 यहां पर आपको हाथी के दांतों से हाथी की हड्डियों से बने हुए ज्वेलरी बॉक्स मिल जाएंगे...

 जब आप इमामबाड़े से बाहर आएंगे तो इमामबाड़े के जस्ट सामने आपको एक बिल्डिंग दिखेगी, इनके बारे में यह प्रचलित है कि जब यहां से नवाब गुजरते थे, तो उनकी बेगम यहां पर खड़े होकर उनका स्वागत किया करती थी। 



 इमामबाड़े से आप बाहर आएंगे तो यहां पर आपको एक सड़क दिखेगी जो अभी तक उसी शान उसी गुरुर में खड़ी हुई है या बनी हुई है।

आज इस बड़े इमामबाड़ा में आकर एक सुकून मिला बहुत सारी रोचक जानकारी, सुंदर इमारत, बेहतरीन नक्कासी, शिल्पकारों की अद्भुत रचना, इस जगह का अहमियत, खूबसूरत वास्तुकला आदि देखने और जानने का मौका मिला।


 तो आज हम संडे की सुबह बड़े इमामबाड़े की शहर की अब हमारा अगला हफ्ता हम जाएंगे छोटा इमामबाड़ा ,म्यूजियम, क्लॉक टावर, 7 मंजिलें और एक बेहतरीन सफर। 

Comments

  1. जितनी खूबसूरत और आश्चर्य भरा बारा ईमामबारा है, उतनी ही खुबसुरती से आपने उसे अपने शब्दो मे पिरोया है..

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