कश्मीर is calling😇😇

 ''अगर इस धरती में कही स्वर्ग हैं, तो यही हैं ''

# kashmir #

## Dal lake###

कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहाँ जाता हैं..

मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत भारत की राजधानी नयी दिल्ली से की,







 नई दिल्ली से श्रीनगर तक पहुंचने तक का वायु मार्ग बहुत ही खूबसूरत था, सुंदर वादियों से ढका हुआ, चारों तरफ सफेद बर्फ से लबरेज़ पहाड़ मन को रोमांचित कर रहे थे और कश्मीर को देखने की जिज्ञासा व उत्सुकता में और भी वृद्धि हो रही थी ।

बदलो को छूते पहाड़, और बदलो को देख कर ऐसा लग रहा था मानो सारी बादले पहाड़ों को रुई का चादर पहना रही हो..

 जैसे ही हम श्रीनगर एयरपोर्ट पहुचे, यहां हमें जम्मू कश्मीर टूरिज्म के ऑफिसर मिल गए, जिन्होंने हमें बताया कि हम यहां कैसे घूम सकते हैं,कहाँ कहाँ घूम सकते हैं, क्या- क्या कर सकते हैं उनके जरिये से ही हमने सारे इंतेजाम किये...

कश्मीर आने के पहले थोड़ा सा डर तो था लेकिन टूरिज्म ऑफिसर के बातें और जगह की खूबसूरती के बारे में बयान हमे पूरी तरह निश्चिंत कर दिए है की हम बहुत सही जगह अपना समय देने और खूबसूरत पल को एन्जॉय करने आये है।


###डल लेक.....

एयरपोर्ट से हम डल लेक के लिए चल पड़े  करीब 15.5 km क्षेत्र मे फैला हुआ डल लेक चारो तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ हैं, और ऐसा प्रतीत होता हैं मानो इन पहाड़ों के लिए वो आईने का काम कर रहा हो..

"हम अपने अंदर को, अपने आप को बहते हुए पानी मे नहीं देख सकते, उसके लिए पानी रुका हुआ होना चाहिए "








                                  

हम इस शहर मे घुमने निकले, रोमांचक भरा सफर, जो की हमें पता था कि, वो खूबसूरत और कुछ अलग होगा, हमने जिसकी कल्पना कि थी, आज वो सफर, वो वादिया हमारे सामने होंगी, यह सोचकर ही मन उत्साहित हो जा रहा था..

 डल लेक में कश्मीर के बहुत सारे लोगो का जीवन पूरी तरह आश्रित हैं, इस लेक में खाने से लेकर कपड़े, गहने, सब्जी, किराने सामान, लगभग सभी चीज़ो की दुकान हैं..वहाँ झील के अंदर ही बोट पर लोग सभी पर्यटको को समान बेचकर अपनी रोजी रोटी कमाते है तथा नाव में बैठाकर पूरे झील की सैर कराते है जिसे शिकारा राइड कहा जाता है। उनकी जिंदगी इसी झील में ही रहते बीत जाती है।

ये चीज़े सोचने पे मजबूर करती हैं की कैसे मानव अपने जीवन यापन के लिए नयी नयी चीज़े डिस्कवर करती हैं, ये इसका सास्वत उदाहरण हैं..


इतिहास 

कश्मीर पर मुगलोंअफगानोंसिखों और डोंगरा शासकों का शासन रहा है ।इसलिए इसकी मिलीजुली परंपरा है, कई राज्यों की संस्कृति इसमें शामिल है, जो कश्मीर के ताज पर चार चांद लगा देती है।

डल लेक को झेलम नदी का हिस्सा माना जाता है। डल झील मुगल गार्डन, निशांत गार्डन, ट्यूलिप गार्डन, बॉटनिकल गार्डन से घिरी हुई है, जो इसकी सुंदरता को 100 गुना बढ़ा देती है।

 













##boat हाउस ###

बोट हाउस

इतिहास

यह अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था, क्योंकि उन्हें कश्मीर में स्थायी घर बनाने या कोई जमीन कमाने की अनुमति नहीं थी।

बोट हाउस देवदार की लकड़ी से बने होते हैं, उन पर 19वीं सदी की लकड़ी की नक्काशी की गई है। अखरोट की लकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता था।

बोट हाउस बहुत ही सुंदर एवं सुसज्जीत था। वहाँ के केअर टेकर भी बहुत हेल्पिंग नेचर के थे। जब हम वहाँ पहुँचे तो हमारा बहुत अच्छे से स्वागत किये और रात की ठंड में मनमोहक कहवा पिलाया। बोट हाउस का रूम भी बढ़ा सुंदर था जहाँ सभी तरह की सुविधाएं दी गयी है । बोट हाउस में रहना बहुत ही अलग और बहुत ही विशेष लग रहा था। 


बोट हाउस में जब सुबह उठे तो देखें कि सुबह का नज़ारा कुछ अलग ही था, झील के अंदर बहुत सारे पक्षी चहक रहे थे। उनकी ध्वनि हमे एक संगीत की तरह लग रही थी। चारों तरफ सुंदर वादियों और पहाड़ों से घिरा हुआ हमारा  बोट हमें एक खूबसूरत पल का अहसास करा रहा था और हम इस मनमोहक दृश्य को देख खुद ही चहकने लग गए थे। एक सामान्य दिन की शुरुआत भोजन कक्ष में नाश्ते के साथ हुई, हमें प्रसिद्ध कश्मीरी केहवा, पोहा, ब्रेड और मक्खन परोसा गया। ठंडी के इस माहौल में गरमा गरम नाश्ता करके पेट की भुख और मन तृप्त हो गया था।

स्वच्छ वातावरण ,सफेद बर्फ की चादर से ढंका पर्वत, चहचहाती पक्षियों की गूंज, कश्मीरी कहवा, रंग बिरंगे लोग व्यस्तता से भरे इस जीवन मे हमें मन को प्रफुल्लित करते है और दिल को शुकुन दे जाते है। 


 





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